गुरुवार, 1 नवंबर 2012

जब्त


मै इससे बढ़कर जब्त की मिसाल क्या दूँ
वो मुझसे लिपट के रोया किसी और के लिए

शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

किसे खबर थी

 

 

 

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किसे ख़बर थी तुझे इस तरह सताऊंगा

ज़माना देखेगा और मैं न देख पाऊंगा

 

हयातो मौत फिराको विसाल सब यक़ज़ा

मैं एक रात में कितने दिये जलाऊंगा

 

पला बढ़ा हूं तक इन्हीं अंधेरों में

मैं तेज़ धूप से कैसे नज़र मिलाऊंगा

 

मेरे मिजाज़ की मादराना फितरत है

सवेरे सारी अज़ीयत मैं भूल जाऊंगा

 

तुम एक पेड़ से बाबस्ता हो मगर मैं तो

हवा के साथ दूर दूर जाऊंगा

                                          बशीर बद्र

सोमवार, 3 सितंबर 2012

एक गज़ल

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा

इतना मत चाहो उसे वो बे-वफ़ा हो जायेगा



हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है


जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा



कितनी सच्चाई से मुझसे ज़िन्दगी ने कह दिया


तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जायेगा



मैन ख़ुदा का नाम ले कर पी रहा हूँ दोस्तों


ज़हर भी इस मे अगर होगा दवा हो जायेगा



रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर


क्या ख़बर थी मुझ से वो इतना ख़फ़ा हो जायेगा




                                                            (बशीर बद्र )