किया है प्यार हमने जिसे जिन्दगी की तरह
वो आशना भी मिला हमे अजनबी की तरह
सितम तो ये है कि वो भी न बन सका अपना
कुबूल हमने किये जिसके गम ख़ुशी कि तरह
बढ़ा कर प्यास मेरी उसने हाथ छोड़ दिया
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल लगी की तरह
कभी न सोचा था हमने 'कतील' उसके लिए
करेगा वो भी सितम हमपे हर किसी की तरह